Shodashi No Further a Mystery
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कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका
सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं
When the specific intention or importance of this variation might range determined by individual or cultural interpretations, it could commonly be comprehended being an extended invocation with the combined Strength of Lalita Tripurasundari.
प्राण प्रतिष्ठा में शीशा टूटना – क्या चमत्कार है ? शास्त्र क्या कहता है ?
सा मे दारिद्र्यदोषं दमयतु करुणादृष्टिपातैरजस्रम् ॥६॥
चतुराज्ञाकोशभूतां नौमि श्रीत्रिपुरामहम् ॥१२॥
पुष्पाधिवास विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि
Worshipping Goddess Shodashi is not only about trying to get product Gains but also about the internal transformation and realization from the self.
Her legacy, encapsulated in the colourful traditions and sacred texts, proceeds to guideline and inspire These on the path of devotion and self-realization.
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।
संक्रान्ति — प्रति मास जब सूर्य एक संक्रान्ति से दूसरी संक्रान्ति में परिवर्तित होता है, वह मुहूर्त श्रेष्ठ है।
इसके अलावा get more info त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥